राजनीतिक संवाददाता द्वारा
रांची. झारखंड की पंचायतों में समाज की आधी आबादी यानि महिलाओं का दबदबा रहेगा. पंचायतों में महिलाओं को हर पद पर आरक्षण के आधार पर आधी से ज्यादा जगहें मिलेंगी. ग्राम पंचायत की सदस्यों के 53,479 पदों में से 30,631 पदों पर महिला उम्मीदवार निर्वाचित होकर आएंगी. इनमें आरक्षित और गैर आरक्षित श्रेणी की महिला उम्मीदवार शामिल होंगी.
बता दें, झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद गांव में चुनावी मौहल जैसा नजारा दिखने लगा है. राज्यभर में आदर्श आचार संहिता लागू हो गया है और 16 अप्रैल से औपचारिक रूप से प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. राज्य के कुल 24 में से पांच जिलों में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं अपने जनप्रतिनिधि चुनेंगी. पाकुड़, खूंटी, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम और पूर्वी सिंहभूम में पुरुषों से महिला वोटर ज्यादा हैं.
राज्य के पंचायत इस चुनाव में राजनीतिक दलों की भी बड़ी भूमिका होती है। हर दल पूरे दम-खम से चुनाव लड़ता है। अपने उम्मीदवारों को समर्थन देकर चुनाव जीताने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ता है। लिहाजा सात साल बाद हो रहे पंचायत चुनाव में झारखंड के हर राजनीतिक दल का शक्ति परीक्षण होगा। हर दल चाहेगा कि उसका समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीत जाए.
सत्तारूढ़ दल झामुमो और कांग्रेस भी पंचायत चुनाव में अपने समर्थित ज्यादा से ज्यादा लोगों को जिताकर लाने की कोशिश करेंगे. दरअसल पंचायत स्तर पर जिन राजनीतिक दलों का सांगठनिक ढांचा मजबूत होता है, वहीं संगठन चुनाव में बाजी मार ले जाता है. पंचायत से लेकर बूथ स्तर तक संगठन के बूते ही दल अपने-अपने उम्मीदवारों का समर्थन कर चुनाव को दिलचस्प बनाते हैं. गांवों में दलीय आधार पर खेमाबंदी होती है और मतदाता भी उसी के अनुसार बंट जाते हैं.
झारखंड में पिछले पंचायत चुनाव में लड़ चुके 1676 प्रत्याशी इस बार चुनाव नहीं लड़ पायेंगे. राज्य निर्वाचन आयोग ने इन प्रत्याशियों के पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. आय-व्यय का ब्योरा जमा नहीं करने की वजह से उनको 3 साल के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध रहेगा.